Mar 9, 2012
तल्ख़ी है बहुत ही जीवन में, थोड़ा सा रूमानी होलें हम
कुछ रंग तुम अपना छलकाओ, कुछ प्यार की मस्ती घोलें हम
बनवा के किसी ने ताजमहल, दुनिया को नया पैग़ाम दिया
इन अहदे-वफ़ा की कब्रों से, कुछ देर लिपट के रो ले हम
(pieces from thodasa roomani hojaye)
- डॉ. ए.के. श्रीवास्तव, नवाब शाहाबादी
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