Tuesday, 30 October 2012

अक्षमता


हैरान हूँ मैं तेरी तिश्नगी पर 
ये सोचकर की मैं दरिया बनू या समंदर 
सोचा था झील बनूँगा और 
तेरे ख़यालोमें रहा करूंगा 
नीरवता का संगीत बनकर 
तेरे कानोंको सजाऊँगा  
पर झील तो यूँही सूख गयी 
बहनेसे पहले तेरे मन की 
प्यासी शोषक धरती पर
संगीत कहीं खो गया  
तेरे ही मन के घूम में 
तेरे सवाल सवाल ही रह गए  
मेरी संगीन ख़ामोशी में  | - VV 



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